The Ultimate Guide To संक्रामक रोग से बचने के उपाय

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विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश दुष्प्रभाव हल्के से मध्यम और अस्थायी होते हैं, और सुरक्षा संबंधी कोई गंभीर चिंता उत्पन्न नहीं होती।

नीगाता विश्वविद्यालय के प्राध्यापक साइतो आकिहिको का कहना है कि हल्के लक्षण होने की स्थिति में संक्रमित हो जाने मात्र से पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होती। उन्होंने कहा कि यह तथ्य अच्छी तरह से ज्ञात है कि नये कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी की मात्रा समय के साथ घट जाती है। साइतो का कहना है कि संक्रमित होने के बाद टीका लगाने से शरीर में पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता सुनिश्चित की जा सकती है। जहाँ तक टीका लगाने के समय का प्रश्न है, उसे लक्षण कम होने के बाद बच्चे का स्वास्थ्य सामान्य होने पर लगाया जा सकता है।

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हमेशा खांसने या छींकने के दौरान अपने मुंह को टिश्यू से कवर करें, उसके बाद टिश्यू को किसी प्लास्टिक के बैग में सील करें और फेंक दें।

वह कहते हैं कि चर्चा में अनिश्चितता की स्थिति थी। विशेषज्ञों का दृष्टिकोण रूढ़िवादी था और वे विस्तृत सूचना पर अधिक ध्यान केन्द्रित कर रहे थे। यह समीक्षा प्रक्रिया पुरानी व्यवस्था जितनी ही लम्बी रही। वे कहते हैं कि “स्वीकृति को गति कैसे दी जाए” और “दवा या उपचार की प्रभावकारिता और सुरक्षा की कैसे पुष्टि की जाए” इन दो बातों के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।

कितासातो विश्वविद्यालय के प्राध्यापक नाकायामा तेत्सुओ का कहना है कि टीकाकरण के कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। लेकिन उनके अनुसार टीका न लगवाने से ऐसी जटिल स्थिति पैदा हो सकती है जिससे मृत्यु भी संभव है। उदाहरण के तौर पर, बच्चों को एक्यूट एन्सीफ़ैलोपैथी नामक मस्तिष्क ज्वर और मायोकार्डाइटिस यानि हृदय की पेशियों की सूजन हो सकती है।

अन्य कई सावधानियाँ तो कोरोना-जैसी होंगी तथा सामान्य साफ़-सफ़ाई के नियमों का पालन करें, जैसे कि घर-कार्यालय के दरवाजों के हत्थों, मोबाइल, डेस्कटाप सहित पूरी मेज, गाड़ियों के हैण्डल्स को नीम मिश्रित अथवा सामान्य डिटर्जेण्ट से गीले कपड़े से साफ़ करते रहें। फ्रि़ज में more info रखी वस्तुएँ यथासम्भव न खायें क्योंकि वहाँ सूक्ष्मजीवों की बढ़त कम हो जाती है, रुकती

⦁    रोग-प्रतिरक्षा के उपाय संक्रामक रोगों की रोकथाम का महत्त्वपूर्ण उपाय शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करना है। नियमित रूप से शुद्ध जल एवं पौष्टिक भोजन का सेवन, विभिन्न रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। वर्तमान में विभिन्न संक्रामक रोगों से बचने तथा रोग प्रतिरक्षा शक्ति के विकास हेतु टीके भी उपलब्ध हैं। सभी स्वस्थ व्यक्तियों को ऐसे टीके लगाना अतिआवश्यक है।

किसी भी रोग के संक्रमण के लिए परपोशी घटक अत्यधिक सीमा तक उत्तरदायी होते हैं। परपोशी घटकों को निम्नलिखित समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है-

अतः लैंगिक सम्बन्ध केवल अपने जीवनसाथी से रखें तथा एक से अधिक व्यक्तियों के साथ यौन सम्बन्ध बना चुके व्यक्ति में यौन-संक्रामक रोग होने की आशंका सर्वाधिक होती है क्योंकि चाहे कितनी भी तथाकथित सावधानियाँ बरत लें, त्वचा व दैहिक तरलों के माध्यम से कई कण व द्रव एक-दूसरे में जायेंगे ही जायेंगे।

स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार

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